लेंज का नियम क्या है - ldkalink
विद्युत चुंबकीय प्रेरण के कारण उत्पन्न होने वाले प्रेरित धारा की दिशा का पता लगाने के लिए जर्मन वैज्ञानिक हेनरी लेंस (Heinrich Lenz 1804-1865) द्वारा एक नियम का प्रतिपादन किया गया था इसे ही लेंज़ के नियम ( lenz ka niyam) के नाम से जाना जाता है अतः लेंस के नियम को इसकी परिभाषा (definition in Hindi) से इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है:
लेंज का नियम क्या है ?
किसी परिपथ में प्रेरित धारा की दिशा उस कारण का विरोध कर सके जिसके कारण वह उत्पन्न हुई है इस नियम को इस लेंस का नियम कहा जाता है चुंबक को कुंडली के पास लाने पर प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होती है जबकि चुंबक को कुंडली से दूर ले जाने पर इसमें उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होती है।
व्याख्या
फराडे द्वारा दिए गए उसके पहले प्रयोग में यह बताया गया कि जब चुंबक के N- ध्रुव को कुंडली के ओर ले जाते हैं उससे बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने लगती है जिससे की प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है।
इस उत्पन्न हुए प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह चुंबक के N- ध्रुव को कुंडली के पास आने का विरोध कर सके और यह तभी संभव है जब कुंडली का वह फलक जो चुंबक की ओर हो वह N- ध्रुव भांति कार्य करे, अतः कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होगी।
जब चुंबक के N- ध्रुव को कुंडली से दूर ले जाया जाता है तो कुंडली से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स के मान में कमी होने लगती है जिससे की कुंडली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है इस धारा की दिशा इस प्रकार हो कि वह चुंबक के N- ध्रुव के दूर जाने का विरोध कर सके और यहां तभी संभव होता है कुंडली का वह फलक जो चुंबक की ओर होता है वह S - ध्रुव की भांति कार्य करें, अतः कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होगी।